भगवत गीता अध्याय एक ~ अर्जुनविषादयोग | श्लोक 27

भगवत गीता अध्याय एक ~ अर्जुनविषादयोग | श्लोक 27

भगवत गीता अध्याय एक ~ अर्जुनविषादयोग | श्लोक 27

तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान् ।
कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत् ॥२७॥
अर्थ:
जब कुन्तीपुत्र अर्जुन ने मित्रों तथा सम्बन्धियों की इन विभिन्न श्रेणियों को देखा तो वह करुणा से अभिभूत हो गया और इस प्रकार बोला।